National Sport of india अगर हॉकी नहीं है तो फिर क्या है ?
National sport of india – हम अपने बचपन से यही पढ़ते आ रहे है की भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है ,राष्ट्रीय पक्षी मोर है,राष्ट्रगान जन गण मन और राष्ट्रीय खेल हॉकी है लेकिन सच्चाई ये है की national sport of india हॉकी नहीं है। अब प्रश्न यह उठता है की अगर हमारा National sport of india हॉकी नहीं है तो फिर हमें आज तक यह क्यों पढ़ाया जा रहा था |
आखिर लोगो में यह बात कैसे फैली की हॉकी ही हमारा राष्ट्रीय खेल है और इन सब में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है की अगर राष्ट्रीय खेल हॉकी नहीं है तो फिर हमारे National sport of india क्या है। हमारा विश्वास करे जब हमें यह पता चला की National sport of india नहीं है तो हमारे दिमाग में इसी तरह के काफी प्रश्न आ रहे थे और इन सबमे सबसे ज्यादा परेशान करने वाला प्रश्न यही था की कौन है हमारे देश का राष्ट्रीय खेल।
इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने पर हमें यह पता लगा की भारत सरकार ने आज तक किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है। दरअसल यह बात लोगो के सामने तब आयी थी जब लखनऊ की रहने वाली एक 10 वर्ष की लड़की RTI (RIGHT TO INFORMATION) के जरिये प्रधान मंत्री के ऑफिस से यह सवाल पूछती है की हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कब घोषित किया गया तब खेल मंत्रालय के तरफ से जवाब यह आता है :-
I haven’t come across any official order or notification in the ministry saying that hockey is our national game. It is known to be a national game in general parlance,
यहाँ खेल मंत्रायलय कह रहा है की “मुझे कोई ऐसा आधिकारिक आदेश या अधिसूचना नहीं मिला है जिसमे यह कहा गया हो की हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। “
अथार्त खेल मंत्रालय का कहना है की भारत सरकार ने हॉकी को कभी National sport of india हॉकी का दर्जा नहीं दिया गया। तो अब सवाल यह उठता है की अगर भारत सरकार ने इस खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है तो फिर हम इसे आज तक राष्ट्रीय खेल क्यों मानते आये है।
इसे जानने के लिए हमें पहले यह जानना होगा की किसी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा क्यों ,कैसे और किस मापदंड के आधार पर दिया जाता है। किसी देश के राष्ट्रीय खेल का चुनाव कैसे किया जा सकता है शायद उस देश में उस खेल की लोकप्रियता से या तो फिर खेल का उस देश के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव से। हॉकी का इनमे से कौन से वजह से लोगो के मन में यह धारणा बन गयी की यही भारत का राष्ट्रीय खेल है आइये जानते है।
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हम आज तक हॉकी को National sport of india क्यों मानते आये है ?
अगर आज आपसे पूछा जाए की भारत का राष्ट्रीय खेल क्या होना चाहिए तो शायद आप में से ज्यादा लोगो का जवाब क्रिकेट होगा | क्यूंकि यह खेल आज भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसी तरह हॉकी भी 1920 से 1950 के समय में बहुत लोकप्रिय था।
1928 से 1950 के बिच में भारत ने लगातार 8 ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीते थे और 178 गोल करते हुए 24 लगातार मैच जीते थे। इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते है की हॉकी उस समय कितना लोकप्रिय था। शायद इस खेल के भारत में लोकप्रियता के वजह से ही लोगो ने इसे अपना राष्ट्रीय खेल मान लिया होगा।
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भारत का कोई राष्ट्रीय खेल क्यों नहीं है ?
किसी खेल को राष्ट्रीय सम्मान देते समय हमें कुछ तो मापदंड बनाने होंगे जैसे की किसी खेल का हमारे देश के खिलाड़ियों द्वारा प्रदर्शन दूसरा उस खेल का हमारे देश में लोकप्रियता हो सकता है लेकिन जानिए हम इन् चीजों को मापदंड के तौर पर क्यों नहीं रख सकते है।
लोकप्रिय: क्या आप बिना गूगल किये हमें किसी हॉकी के खिलाड़ी का नाम बता सकते है, आप में से ज़्यदातर लोग नहीं बता पाएंगे लेकिन अगर आपसे किसी क्रिकेट के खिलाडी का नाम पूछा जाए | तो आप आराम से कइयों के नाम गिना पाएंगे। ऐसा इसलिए है क्युकी आज यह खेल लोकप्रिय नहीं है आज लोग हॉकी में ज्यादा रूचि नहीं रखते है लेकिन 1950 के समय यह खेल बहुत लोकप्रिय था।
तो किसी खेल की लोकप्रियता हमेशा बनी रहे यह जरुरी नहीं है कल हॉकी लोकप्रिय था तो आज क्रिकेट है और कल शायद कोई और खेल हो कबड्डी या फिर फुटबॉल किसे पता है।
अब यह तो साफ़ हो गया है की हमें किसी खेल को लोकप्रियता के आधार पर उसे राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं करना चाहिए क्युकी लोकप्रियता कभी भी जा सकती है चाहे वो इंसान की हो या खेल की।
प्रदर्शन : जैसा की हमने आपको बताया भारत में हॉकी खेल बहुत लोकप्रिय था इसका सबसे बड़ा कारण था उस समय हॉकी के खिलाड़ियों का अभूतपूर्व प्रदर्शन लेकिन खेल का प्रदर्शन थोड़ा ख़राब होने से और दूसरे खेलो में लोगो की रूचि बढ़ने से इसकी लोकप्रियता काम होती गयी साथ में खेल का प्रदर्शन भी ख़राब होता गया।
आज भारत की हॉकी टीम दुनिया में चौथी नंबर (स्त्रोत्र: पर आती है। हालाँकि यह कुछ ज्यादा ख़राब नहीं है लेकिन फिर भी अगर हम उस समय से तुलना करे तो यह कुछ ज्यादा अच्छा भी नहीं है।
आज भारत के क्रिकेट खिलाडीयों का जो प्रदर्शन हमें देखने को मिलता है वैसा हमेशा से नहीं रहा है। भारत के क्रिकेट खिलाड़ियों ने जब पहली बार 1983 में वर्ल्ड कप जीता तब से इस खेल की लोकप्रियता भारत में बढ़ती गयी और साथ ही साथ खिलाड़ियों का प्रदर्शन। अतः प्रदर्शन भी कभी अच्छा तो कभी बुरा हो सकता है तो इस आधार पर भी हम किसी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दे सकते।
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क्या हमें सच मे किसी राष्ट्रीय खेल की जरुरत है ?
क्या आपको लगता है की हमारे देश में हर चीज के लिए एक राष्ट्रीय चिन्ह का होना आवश्यक है। हर चीज में एक राष्ट्रीय निशान होना जरुरी नहीं है और तब तो बिलकुल भी नहीं जब उस चीज को लेकर भारत के विभिन्न क्षेत्र के लोगो में भारी मतभेद हो।
जैसा की आप जानते है हमारे देश भारत विविधतापूर्ण देश है हमारे देश में एक जगह से दूसरे जगहों में कामी विभिन्नताएं हैं चाहे वो भौगोलिक हो या फिर पसंद । अगर आज आप किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित कर देते है तो क्या आप बाकि के दूसरे खेलो को निचा नहीं दिखा रहे है, हो सकता है जो खेल का चयन आपने किया है दूसरे देशवासी उससे सहमत ना हो।
मान लिया आप क्रिकेट को राष्ट्रीय खेल बनना चाहते है तो क्या लगता है देश के बाकी लोग भी इस बात पर तैयार हो जायेंगे नहीं बिलकुल भी नहीं भारत के सभी जगह के लोगो का प्रिय खेल क्रिकेट नहीं है। पश्चिम बंगाल के लोग फुटबॉल खेलना ज्यादा पसंद करते है,उत्तर भारत में भी बहुत अधिक मात्रा में लोग कबड्डी खेलना पसंद करते है और दक्षिण भारत में कुछ राज्यों के लोग Boat Race करना काफी पसंद करते है।
तो ऐसे में अगर हम आज इस social media के युग में एक राष्ट्रीय खेल का चयन करने जाते है तो क्या लोग आपस में सोशल मीडिया पर एक दूसरे से लड़ना नहीं शुरू कर देंगे और आपस में ही एक दूसरे को अपना दुश्मन नहीं समझने लग जायेंगे। तो अब आप ही बताइये क्या हमें जरुरत है किसी ऐसे राष्ट्रीय खेल की जो अपने ही देश के कुछ गुट को आपस में लड़ा दे। जहा तक हमें लगता है खेल लोगो को आपस में भाईचारा बढ़ाने और मनोरंजन के लिए होता है लोगो को बांटने के लिए नहीं।
अतः अब आपको इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद पता चल गया होगा की भारत का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है और अगर नहीं है तो फिर आजतक हम हॉकी को अपना राष्ट्रीय खेल क्यों मान रहे थे। साथ में आपको यह भी समझ में आया होगा | की हमारा कोई National sport of india क्यों नहीं है और आखिर कोई नया राष्ट्रीय खेल चुनने में समस्या क्या है। इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद !
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